Sunday, August 15, 2010

सफ़र में धूप तो होगी...


सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड में तुम भी निकल सको तो चलो


किसी के वास्ते राहे कहां बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो


यहा किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम  संभल सको तो चलो


यही हैं जिंदगी, कुछ ख्वाब, चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से अगर तुम बहल सको तो चलो


सफर में धूप तो होगी...

___o0o___

दोस्तो, चित्रा सिंग की गायी हुई ये गजल मैं जब भी सुनता हूँ, हमेशा मेरे दिल को छू जाती हैं... उम्मीद करता हूँ आपको भी पसंद आयेगी.

(mp3 will b shared on request)

Wednesday, March 31, 2010

हुजूर आपका भी एहतिराम करता चलूं

जगजित सिंग की गायी हुई ये गज़ल मेरे पसंदीदा गज़लोंमें से एक हैं।

हुजूर आपका भी एहतिराम करता चलूं
इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूं

निगाह-ओ-दिल की यही आखिरी तमन्न थी
तुम्हारी जुल्फ़ के साये में शाम करता चलूं

उन्हें ये जिद के मुझे देखकर किसीको न देख
मेरा ये शौक के सबसे कलाम करता चलूं

ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन कयाम करता चलूं

-