सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहे कहां बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यहा किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
यही हैं जिंदगी, कुछ ख्वाब, चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से अगर तुम बहल सको तो चलो
सफर में धूप तो होगी...
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दोस्तो, चित्रा सिंग की गायी हुई ये गजल मैं जब भी सुनता हूँ, हमेशा मेरे दिल को छू जाती हैं... उम्मीद करता हूँ आपको भी पसंद आयेगी.
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