सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहे कहां बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यहा किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
यही हैं जिंदगी, कुछ ख्वाब, चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से अगर तुम बहल सको तो चलो
सफर में धूप तो होगी...
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दोस्तो, चित्रा सिंग की गायी हुई ये गजल मैं जब भी सुनता हूँ, हमेशा मेरे दिल को छू जाती हैं... उम्मीद करता हूँ आपको भी पसंद आयेगी.
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हैं ही बहुत मार्मिक
ReplyDeleteकिसी के वास्ते राहें कहां बदलती है
ReplyDeleteअगर खुद को ही बदल सको तो चलो
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराकर संभल सको तो चलो
यही है जिंदगी,कुछ ख्वाब,चंद उम्मीदें
इन खिलौनों से बहल सको तो चलो
क्षमा चाहूंगी...मुझे कुछ खामियां लगीं....ये इस तरह होती तो और अच्छी लगती.....
अच्छी लगी धन्यवाद्|
ReplyDeleteब्लागजगत पर आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteइस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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