Wednesday, June 15, 2011

अपने होटोंपर सजाना चाहता हूँ

एक और बेहतरीन गज़ल पेश कर रहा हूँ, जिसे अपनी दर्दभरी आवाज से सजाया हैं जगजित सिंग ने और शब्द हैं क़तील शिफाई के...


अपने होटोंपर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ

आखिरी हिचकी तेरे ज़ानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ

रचना - क़तील शिफ़ाई
आवाज - जगजित सिंग

Monday, June 13, 2011

ठुकराओ अब के प्यार करो

जगजीत सिंग साहब की गाई हुई ये एक बहोत ही बेहतरीन गजल, मेरी खास पसंदीदा गजलोंमें से एक हैं। सभी पीनेवालों के लिये... :-)

ठुकराओ अब के प्यार करो, मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ

अब भी दिला रहा हूँ यकीने-वफा मगर
मेरा ना एतबार करो, मैं नशे में हूँ

गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ

मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइजों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ

फिर बेखुदी में हद से गुजरने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ

Friday, June 10, 2011

दर्द से मेरा दामन भर दे

लता मंगेशकर की गायी हुई ये गजल जब भी सुनता हूँ तो सीने में एक चूभन सी होती हैं...



दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह
फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह

मैने तुझसे चांद-सितारे कब माँगे
रोशन दिल बेदार नजर दे या अल्लाह

सूरज सी एक चीज तो हम सब देख चूके
सचमुच की अब कोई सहर दे या अल्लाह

या धरती के जख़्मों पर मरहम रख दे
या मेरा दिल पत्थर कर दे या अल्लाह