जगजीत सिंग साहब की गाई हुई ये एक बहोत ही बेहतरीन गजल, मेरी खास पसंदीदा गजलोंमें से एक हैं। सभी पीनेवालों के लिये... :-)
ठुकराओ अब के प्यार करो, मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
अब भी दिला रहा हूँ यकीने-वफा मगर
मेरा ना एतबार करो, मैं नशे में हूँ
गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइजों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ
फिर बेखुदी में हद से गुजरने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ
ठुकराओ अब के प्यार करो, मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
अब भी दिला रहा हूँ यकीने-वफा मगर
मेरा ना एतबार करो, मैं नशे में हूँ
गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइजों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ
फिर बेखुदी में हद से गुजरने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ
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