एक और बेहतरीन गज़ल पेश कर रहा हूँ, जिसे अपनी दर्दभरी आवाज से सजाया हैं जगजित सिंग ने और शब्द हैं क़तील शिफाई के...
अपने होटोंपर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ
आखिरी हिचकी तेरे ज़ानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ
अपने होटोंपर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर
बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ
थक गया मैं करते करते याद तुझको
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
छा रहा हैं सारी बस्ती में अंधेरा
रोशनी को घर जलाना चाहता हूँ
आखिरी हिचकी तेरे ज़ानों पे आये
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ
रचना - क़तील शिफ़ाई
आवाज - जगजित सिंग